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Abhinav Kumar

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  • कौन बोलेगा ?कौन बोलेगा ?

    कौन बोलेगा ?

    घर का खाली कमरा,

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  • अजनबी प्रेम अजनबी प्रेम 

    अजनबी प्रेम 

    हम अजनबी से मिले थे,

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  • घास की इच्छा घास की इच्छा

    घास की इच्छा

    सड़क किनारे घास,

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  • स्मृति स्थलस्मृति स्थल

    स्मृति स्थल

    शरीर

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  • प्रेमप्रेम

    प्रेम

    प्रेम में हम बहुत कुछ बन सकते है, प्रेम संभावनाओं की उड़ान है | हर सम्भावना में इसका रूप अलग होता है, व्याकरण अलग होता है, पर आत्मा ,आत्मा एक ही होती है | 

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  • कविताकविता

    कविता

    जब बोलने को बहुत कुछ हो पर वाक्य बीच में ही बैचैन होने लगे,तब भावना के सीने से स्वतः ही कविता फूट पड़ती है |

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  • प्रेम,पिता,जीवन प्रेम,पिता,जीवन

    प्रेम,पिता,जीवन

    मैं पिता के सामने हमेशा खामोश रहा तब भी जब वे ग़लत थे।

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  • नया मैंनया मैं

    नया मैं

    सोचना चाहता हूँ समझना चाहता हूँ बोलना भी चाहता हूँ |

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  • शोकशोक

    शोक

    शोक क्या है, युगों से ढूंढ रहे हैं हम |

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  • लोकतंत्र लोकतंत्र

    लोकतंत्र

    तुम भीड़ के साथ जीना सीख लो ये भीड़ ही अब समाज है,

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  • शब्द, अर्थ, और अनंतशब्द, अर्थ, और अनंत

    शब्द, अर्थ, और अनंत

    आकांक्षा मुक्ति की और मृत्यु की एक सी बैचेनी पैदा करती है ।

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  • खामोशी में अर्थखामोशी में अर्थ

    खामोशी में अर्थ

    शून्य में देखना खामोशी में अर्थ तलाशने जैसा है|

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