शून्य में देखना
खामोशी में अर्थ तलाशने जैसा है|
मेरे अंदर एक गहरी खामोशी है
जिसकी आकार और गहराई
अज्ञात है ।
खामोशी में भविष्य की आशंका
अतीत का दुख,
बैचेनी और डर है |
अगर दिखा पाती तो
ये घुप अंधकार दिखाती,
दिखाती वो आडी तिरछी रेखाएं
अबूझमाड़ सा कुछ बनाती,
और इस बनाने की प्रक्रिया में
कुछ और बन जाती।
होने और बनने के बीच की जगह
खामोशी होती है|
शायद हर खामोशी
कोई बीच की जगह है।
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