आकांक्षा
मुक्ति की और
मृत्यु की
एक सी बैचेनी पैदा करती है ।
मृत्यु और मुक्ति
के बीच फंसा जीवन
गुजरता जाता है
नेपथ्य में
शब्द, अर्थ, और अनंत
एक ही सूत्र है
सूत्र मुक्ति का या
मृत्यु का
क्या शब्द कभी मरते है
और शब्द के मरने के साथ
क्या अर्थ भी मर जाते है ।
शब्द के मौत के बाद
बचा हुआ अर्थ
अनंत तक जाता है।
अर्थ का अनंत हो जाना
शब्द की मुक्ति है
लेकिन शब्द को मुक्त होने के लिए
मरना पड़ेगा।
अर्थ के आगे क्या है,
वहीं जो अनंत है।
अनंत के आगे क्या है,
वहीं जो अर्थ है।
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